यह भी करो
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पहले इंसान बनो (कविता)
जितने ऊपर उठ जाओ, एक लायक सन्तान बनो
सब कुछ बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो ।।
प्रेम भाव को अपनाकर, सबका तुम सम्मान करो
दुराचार को धता बताकर, सदाचार पर गौर करो ।।
दीन दुखी की सेवा कर, तुम समाज की आन बनो
भूखों की तुम क्षुधा मिटाकर,परिवारों की शान बनो।
माँ बाप को शीश झुकाओ, गुरुओं का सम्मान बनो
सब कुछ बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो ।।
विनम्रता को अपनाओ, वाणी में मधु संवाद भरो
नारी का सम्मान करो, एक योग्य अपवाद बनो ।।
भटकों को राह दिखाकर,लोगों का विश्वास बनो
कर्तव्यों का निर्वाहन कर, तुम कुटुंब की जान बनो।।
चाहे अधिकारी बन जाओ, चाहे तुम इतिहास गढ़ो
सब कुछ बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो